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6 November 2020 today's story

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Never give up, I can 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 *आज का प्रेरक प्रसङ्ग*         *!! मेहनत बनाती हैं !!*         *!! असंभव को संभव !!*   --------------------------------------------                       हर व्यक्ति के जीवन में कुछ कार्य ऐसे जरुर होते हैं जिन्हें करना हमेशा असंभव ही लगता है.. और जब कोई दूसरा व्यक्ति आकर उसी असंभव काम को संभव करके दिखा देता है तो हमें लगता है कि यार वो बहुत लकी है। दरअसल, असंभव कार्य को करने के लिए जितनी कठोर मेहनत की आवश्यकता होती है, उतनी आपने कभी की ही नहीं.. कोई भी काम असंभव नहीं होता, बल्कि थोडा कठिन होता है| जब कोई काम इतना कठिन होता है जिसे हम आसानी से नहीं कर सकते तो बस हम उसे असंभव कहने लगते हैं। यही असंभव शब्द जब हमारे दिमाग में बैठ जाता है तो हम फिर प्रयास करना ही बंद कर देते हैं| आपको याद होगा कि पहले वन डे क्रिकेट में 300 रन बनाना, किसी भी टीम के लिए बहुत बड़ी बात होती थी, अगर किसी टीम ने 300 रन बना लिए तो उसकी जीत निश्चित हो जाती थी क्यूंकि उस समय तक 300 रन को पछाड़ना असंभव सा प्रतीत होता था| लेकिन समय बदला, नए लोग आये… पिच पर रन तेजी से बनने लगे और

5 November 2020 today's story

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Never give up, I can *आज का प्रेरक प्रसंग*                    *आत्म मूल्यांकन-*      ==========================                                          एक बार एक व्यक्ति कुछ पैसे निकलवाने के लिए बैंक में गया। उसने एक लाख चालीस हज़ार रुपए निकलवाए थे। उसे पता था कि कैशियर ने ग़लती से एक लाख चालीस हज़ार रुपए देने के बजाय एक लाख साठ हज़ार रुपए उसे दे दिए हैं लेकिन उसने ये आभास कराते हुए कि उसने पैसे गिने ही नहीं और कैशियर की ईमानदारी पर उसे पूरा भरोसा है चुपचाप पैसे रख लिए। इसमें उसका कोई दोष था या नहीं लेकिन पैसे बैग में रखते ही 20,000 अतिरिक्त रुपयों को लेकर उसके मन में  उधेड़ -बुन शुरू हो गई। एक बार उसके मन में आया कि फालतू पैसे वापस लौटा दे लेकिन दूसरे ही पल उसने सोचा कि जब मैं ग़लती से किसी को अधिक पेमेंट कर देता हूँ तो मुझे कौन लौटाने आता है ??? लेकिन इंसान के अन्दर सिर्फ दिमाग ही तो नहीं होता… दिल और अंतरात्मा भी तो होती है… रह-रह कर उसके अंदर से आवाज़ आ रही थी कि तुम किसी की ग़लती से फ़ायदा उठाने से नहीं चूकते और ऊपर से बेईमान न होने का ढोंग भी करते हो। क्या यही ईमानदारी है? उसकी बेचैनी बढ़

4-11-2020 today's story

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Never give up, I can 🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞 *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                            *!!  आज ही क्यों नहीं?  !!*               ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था। गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन  वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था‌। सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था। अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये। आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है। ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग की कामना करता है। वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता। यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है। उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली। एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा– ‘

3-11-2020 today's story

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Never give up, I can 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                      *!! सोच का फर्क !!*                ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~                      एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक - एक रूपया जोड़ कर मकान बनवाता है. उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक - एक पैसा बचत करता है ताकि उसका परिवार छोटे से झोपड़े से निकलकर पक्के मकान में सुखी से रह सके. आखिरकार एक दिन मकान बन कर तैयार हो जाता है. तत्पश्चात पंडित से पूछ कर गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि निश्चित की जाती है. लेकिन गृहप्रवेश के 2 दिन पहले ही भूकंप आता है और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है. यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा दौड़ा बाजार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है. मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुंचता है जहां पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके मकान गिरने पर अफसोस जाहिर कर रहे थे. ओह बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ, कितनी मुश्किल से एक - एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था. इसी प्रकार लोग आपस में तरह तरह की बातें कर रहे थे.  वह आदमी वहां पहुंचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बांटने लगता है. यह द

02-11-2020 today's story

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Never give up, I can *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                           *!! संयम का महत्व !!*             ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~                         कहने को तो संयम बहुत ही छोटा सा शब्द है पर समझने को बहुत ही बड़ा है। आज मैं आपको एक छोटी सी घटना का उल्लेख कर रहा हूँ, जो समझ गया, समझो जीवन का गूढ़ रहस्य समझ गया और जो न समझ सका उसे ईश्वर ही सदबुद्धि दें। एक देवरानी और जेठानी में किसी बात पर जोरदार बहस हुई और दोनों में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली और अपने-अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया। परंतु थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट-खट हुई। जेठानी तनिक ऊँची आवाज में बोली कौन है, बाहर से आवाज आई दीदी मैं! जेठानी ने जोर से दरवाजा खोला और बोली अभी तो बड़ी कसमें खा कर गई थी। अब यहाँ क्यों आई हो ? देवरानी ने कहा दीदी सोच कर तो वही गई थी, परंतु माँ की कही एक बात याद आ गई कि जब कभी किसी से कुछ कहा सुनी हो जाए तो उसकी अच्छाइयों को याद करो और मैंने भी वही किया और मुझे आपका दिया हुआ प्यार ही प्यार याद आया और मैं आपके लिए चाय ले कर आ गई। बस फि

26-10-2020 today's story

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Never give up, I can *👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                 *!! असली शिक्षा !!*         ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~                     एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुए महिला ने अपनी बच्ची से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैंसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही- अरें बुढिया ! यें सब्जी कैंसे दी? 40 रूपयें किलो, बेबी जी... सब्जी लेते ही उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के सीसे पर दस्तक दी, एक छोटी सी बच्ची जो हाथ में 60 रूपयें कार में बैठी उस औरत को देते हुए, बोलती हैं आंटी जी यें आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें हैं, आपकी बेटी भूल आयी हैं। कार में बैठी औरत ने कहा तुम रख लों, उस बच्ची ने बड़ी ही मिठी और सभ्यता से कहा- नहीं आंटी जी हमारें जितने पैंसे बनते थें हमने ले लियें, हम इसे नहीं रख सकतें, मैं आपकी आभारी हूं, आप हमारी दुकान पर आए और आशा करती हूं कि सब्जी आपको अच्छी लगें, जिससे आप हमारें ही दुकान पर हमेशा आए। उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान लौट गयी... कार में बै

24-10-2020 today's story

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Never give up, I can 👇👇 आज का प्रेरक प्रसंग 👇👇*                         *!! झूठी शान !!* ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^                                        एक जंगल में पहाड़ की चोटी पर एक किला बना था। किले के एक कोने के साथ बाहर की ओर एक ऊंचा विशाल देवदार का पेड था। किले में उस राज्य की सेना की एक टुकडी तैनात थी। देवदार के पेड़ पर एक उल्लू रहता था। वह भोजन की तलाश में नीचे घाटी में फैले ढलवां चरागाहों में आता। चरागाहों की लम्बी घासों व झाडियों में कई छोटे-मोटे जीव व कीट-पतंगे मिलते, जिन्हें उल्लू भोजन बनाता। निकट ही एक बडी झील थी, जिसमें हंसों का निवास था। उल्लू पेड़ पर बैठा झील को निहारा करता। उसे हंसों का तैरना व उडना मंत्रमुग्ध करता। वह सोचा करता कि कितना शानदार पक्षी हैं- हंस। एकदम दूध-सा सफेद, गुलगुला शरीर, सुराहीदार गर्दन, सुंदर मुख व तेजस्वी आंखें। उसकी बड़ी इच्छा होती किसी हंस से उसकी दोस्ती हो जाए। एक दिन उल्लू पानी पीने के बहाने झील के किनारे उगी एक झाड़ी पर उतरा। निकट ही एक बहुत शालीन व सौम्य हंस पानी में तैर रहा था। हंस तैरता हुआ झाड़ी के निकट आया। उल्लू ने बात करने